सफलता विफलता सब बस feed backs हैं। अगर तुम अपनी स्थिति से प्रसन्न हो,यकीन मानो , किसी सम्राट से काम नहीं हो तुम। सारी दुविधाओं का तब प्रारम्भ होता है, जिस पल से तुम्हारी सोच पर दूसरों की सोच हावी होने लगती है. मौन एक ऐसा तप है , जिसकी ताक़त के करता तुम हो, धर्ता भी तुम , योगी भी तुम , मालिक भी तुम , भोगी भी तुम. इस के प्रयोग पे महा ग्रन्थ भी लिख डालूं तो भी बोहत कुछ शेष रहेगा। अरे ये पृथ्वी , ये अम्बर , ये जल, ये प्रकृति इन सब का मौन ही तो है जो इनकी प्रतिष्ठा को महान बनाये हुए है. सही क्या है गलत क्या……. सीख्शा देता मौन है। सत्य क्या है न्याय क्या……दीक्षा देता मौन है. धर्म क्या अधर्म क्या……मौन से ही सीख लो.. पाप क्या और पुण्य क्या….. मौन से ही पूछ लो। ज़िन्दगी में कई सवाल मिलेंगे। सब इकट्ठे करो कई जवाब भी मिलेंगे सब इकट्ठे करो। जब ज़िन्दगी की हर अनुभूति का पूर्ण रस की कामना हो , मौन से श्रेष्ठ कुछ नहीं। उस परम सत्य की तलाश हो , या खुद से खुदी को मिलाए की तपिश, वो कशिश बस मौन को सही मौका देने से प्राप्त होगी. खुद जानो मौन रहो मौन असंभव की सम्भवता को शायद ...